सामाजिक न्याय को निगलता हिंदुत्व !

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

सामाजिक न्याय को निगलता हिंदुत्व !

डा रवि यादव

समाजवादी विचारक डाक्टर राम मनोहर लोहिया का मानना था कि समानता लोकतंत्र की अवश्यक शर्त है और भारत में सिर्फ़ आर्थिक असमानता नहीं है सामाजिक भी है. उनका मानना था कि भारत में जाति अवसर को सीमित करती है. सीमित अवसर क्षमता को संकुचित करता है. संकुचित क्षमता अवसर को और भी सीमित कर देती है और यह दुश्चक्र निरंतर कुछ लोगों की क्षमता और अवसर को सीमित करता रहेगा अतः सामाजिक न्याय के बिना आर्थिक  सांस्कृतिक न्याय सम्भव नहीं है और न ही सामाजिक न्याय के बग़ैर लोकतंत्र का कोई अर्थ है. 

भारत में विशेष रूप से हिंदी पट्टी में महाराष्ट्र में महात्मा फुले , सावित्री वाई फुले और क्षत्रपति शाहूजी महाराज आदि से प्रेरित जिन सामाजिक आंदोलनों की बदौलत अस्सी नब्बे के दशक में वंचित जतियों में जो सामाजिक जागरूकता पैदा की उससे दलित और पिछड़े वर्ग के बहुत बड़े हिस्से का लोकतंत्रीकरण हुआ व तमाम ऐसे जाति समूहों की सत्ता , शासन , प्रशासन में भागीदारी बड़ीं जिन्हें पहले कभी भारतीय संविधान में वर्णित “हम भारत के लोग “ होने का गौरव नहीं मिला था. किंतु जैसा कि डाक्टर लोहिया का मानना था कि सामाजिक परिवर्तन का कोई भी प्रयास जब प्रारंभ होता है तो समाज का प्रभावशाली वर्ग न केवल उस परिवर्तन का विरोध करता है आवेश में आकर उस परिवर्तन के विरुद्द प्रतिक्रिया में उसे असफल करने का प्रयास भी करता है . आज वही हो रहा है . समाज का प्रभावशाली वर्ग अभूतपूर्व रूप से हर उस व्यक्ति ,आवाज़ ,संगठन को दबाने तोड़ने और बाँटने के लिए संगठित है जो समाज की अतार्किक , अवैज्ञानिक , आलोकतंत्रिक , स्त्री अधिकार विरोधी , जतिदमन की हिमायती पुरानी बुनियाद के विरुद्ध है. भ्रामक और मिथ्या प्रचार द्वारा सामाजिक न्याय की शक्तियों को बदनाम किया गया है और  लालच व दमन का सहारा लेकर मूल्यविहीन और नैतिकता विहीन राजनीति के ज़रिए हिंदुत्व का आवरण देकर सामाजिक न्याय को बुलडोजर से कुचला जा रहा है तथा अन्यायपूर्ण , पक्षपातपूर्ण और ग़ैर बराबरी आधारित आज्ञापालक आलोकतंत्रिक समाज बनाने के लिए “ राजनीति,प्यार और जंग में सब जायज़ है “ का धूर्ततापूर्ण  व अनैतिक विचार स्थापित किया जा चुका है.  


जहाँ धर्म आधारित ध्रुविकरण से चुनाव जीता जा सकता है  वहाँ तो जीता ही जा रहा है जहाँ नहीं जीत सके वहाँ  धनवल व सत्तावल के दुरुपयोग से सरकारों का गठन किया जा रहा है .अब तमाशा सरकार के गठन से भी आगे जा चुका है जहाँ प्रचंड बहुमत की सरकारें है वहाँ भी विपक्ष और सत्ता विरोधी आवाज़ों का मनोबल तोड़ने के लिए विपक्ष की पार्टियों को तोड़ा जा रहा है.

उत्तर प्रदेश में अभी इसी वर्ष चुनाव हुआ है स्पष्ट बहुमत की सरकार है किंतु विपक्ष को छिन्न भिन्न करने का खेल चालू है. 2022 के विधान सभा चुनाव में विभिन्न पिछड़ें वर्ग के नेताओ के सपा गठबंधन में साथ आने से  पिछड़ों का वोट भाजपा को पिछले चुनाव की तुलना में काफ़ी कम मिला व उत्तर प्रदेश में आज की स्थिति में भाजपा का सीधा मुक़ाबला समाजवादी पार्टी से है अतः चुनाव संपन्न होते ही वहाँ सपा के ख़िलाफ़ तंत्र और षड्यंत्र दोनो का प्रयोग कर सहयोगियों को अपने पाले में लाने का प्रयास किया जा रहा है .राज्य  में चुनाव को त्रिकोणीय बनाने व पिछड़ों की संभावित गोलबंदी को तोड़ने के लिए  ओम् प्रकाश राजभर को बीएसपी के साथ भेजा जाएगा और शिवपाल सिंह को यादव वोटों के विभाजन के लिए मज़बूत किया जाएगा.

माननीय ओपी राजभर जी का राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मुर्मू  जी को समर्थन का कुतर्क है - माननीय मुख्य मंत्री जी ने और माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री जी ने समर्थन मांगा जबकि अखिलेश जी ने समर्थन मांगा ही नही तो जो सम्मान से समर्थन मांग रहा है उसके साथ ही जाना था. राजभर जी आशंकित हूं ! कल कोई चंवल का डाकू सम्मान से साथ देने को कहे तो आप साथ जरूर देंगे या कोई  स्मगलर सम्मानपूर्वक साथ देंने का आग्रह करेगा तो आपका दस्त-ए-करम हासिल कर पाएगा.क्योंकि यह आरोप आपका ही है कि भाजपा दलित पिछड़ों के हक पर डांका डाल रही है , शिक्षक भर्ती में दलित पिछड़ों का हक छीना गया , विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों में दलित पिछड़ों का आरक्षण छीना गया , जाति जनगणना भी इसलिए नही करा रही......आदि आदि.  क्या आपने मुर्मू जी को समर्थन देने से पहले दलित पिछड़ों के अधिकारों की डकैती पर भाजपा से कोई आश्वासन लिया ?

राजभर जी भाजपा नेताओं के अत्यधिक मेहनती होने पर भी अभिभूत है , आदरणीय राजभर जी उनकी मेहनत उस वर्ग की बर्बादी के लिए है जिनका प्रतिनिधि होने का आप दम भरते है. जब आप उनकी मेहनत के क़सीदे पढ़ रहे थे तभी उनके अपने मंत्री मान. दिनेश खटीक ने दलित होने के कारण अधिकारियों द्वारा अनदेखी किए जाने से दुःखी होकर मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया है और मान. खटीक का परिवार तीन पीढ़ियों से संघी रहा है.

कोई साथ देने का आग्रह करे या बहुत मेहनती हो इस आधार पर उसका साथ मत दीजिए इन दोनो शर्तो  को कोई डकैत भी पूरा कर सकता है. रात में मेहनत कर जोखिम उठाकर आपके घर आकर आपके लोगों को लूटने का विनम्र निवेदन करे तो कृपया सोचिए. वैसे बार -बार आप द्वारा “ ओम प्रकाश राजभर कभी झूठ नहीं बोलता “ से यह तो पता चल ही जाता है कि आप भ्रम फैलाने व वास्तविकता छुपाने के लिए जो कुछ कह रहे है उसके प्रति बहुत अस्वस्त आश्वस्त आप ख़ुद भी नहीं है.

राजनीति अगर कुछ मूल्यों , कुछ सिद्धांतों पर आधारित न हो , वह देश समाज और आपका भला नहीं कर सकती. चुनाव जीतना उतना आवश्यक नहीं है जितना उन मूल्यों की सुरक्षा  आवश्यक है जिनकी दुहाई देकर आप किसी भोले मतदाता के दिल में जगह बनाते है बाक़ी आपकी मर्ज़ी.

    

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :