दीपक असीम
पारासला (केरल). राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा शनिवार शाम तमिलनाडु की सीमा से निकलकर केरल के पारसला इलाके में आ गई है. उम्मीद से कई गुना ज्यादा पदयात्री जुड़ गए हैं. राहुल गांधी के प्रति जनता का प्यार देखते ही बनता है. पद यात्रियों में भी गजब का उत्साह, है. जो लोग पहले दिन से यात्रा में शामिल है उनमें कहीं थकान नहीं दिख रही उल्टे जोश ही है, जो कदम कदम पर बढ़ता जा रहा है.
सुबह जब यात्रा शुरू हुई तो तमिलनाडु बॉर्डर के एक गांव में एक लड़की अचानक भाग कर आई और उसने राहुल गांधी को रोक लिया. लड़की ने कहा आपके साथ एक सेल्फी लेनी है. राहुल ने कहा आ जाओ. सुनते ही लड़की ने अपनी सहेलियों को बुला लिया और राहुल गांधी ने सबके साथ सेल्फी खिंचाई. जैसे ही सेल्फी खिंची राहुल आगे बढ़ गए और लड़कियां खुशी से नाचने लगी. इससे पहले शुक्रवार दोपहर को जिस चर्च में पदयात्रा रुकी थी उस चर्च के पादरी बहुत सारे बच्चों को ले आए और राहुल गांधी ने उनके साथ कई तस्वीरें खिंचाई. एक दो बच्चों को तो उन्होंने अपनी गोद में भी बैठा लिया.
राहुल गांधी के साथ कुछ युवा बेरोजगारी के खिलाफ टी शर्ट पहन कर चल रहे थे. टी-शर्ट पर लिखा था मैं रोजगार पाने के लिए चल रहा हूं. रास्ते भर राहुल गांधी का स्वागत होता रहा. किसी ने उन्हें तमिल परंपरा के अनुसार शाल पहनाई तो एक लड़की ने पास ही उगा हुआ एक जंगली फूल तोड़ कर दे दिया जिसे राहुल गांधी अपने हाथ में लेकर चलते रहे. बच्चों को लेकर राहुल गांधी में वही प्रेम है जो पंडित नेहरू में था. राहुल गांधी युवाओं और बच्चों को बहुत ज्यादा आकर्षित करते हैं. युवा लड़कियां उनके साथ काफी सहजता से बात करती हैं. राहुल गांधी की एक निश्चल मुस्कुराहट उन्हें राहुल गांधी का प्रशंसक बना देती है.
कन्हैया कुमार अब रंग में आ रहे हैं. कन्हैया कुमार अब जो गाते हैं या जो नारे लगाते हैं उसमें मध्य प्रदेश की नूरी खान पूरा साथ देती हैं. जो लोग हिंदी नहीं जानते, वे भी कन्हैया कुमार के नारे दुहराते हैं. यही कन्हैया कुमार का करिश्मा है.
तय हुआ था कि पदयात्री एक के पीछे एक कतार बद्ध चलेंगे मगर इतनी जनता साथ आ गई है की किसी अनुशासन के लिए कोई जगह नहीं बची है. जैसे इंसानों की एक लहर कन्याकुमारी से कश्मीर की तरफ चल पड़ी है और यह लहर बड़ी होती चली जा रही है. राहुल गांधी के चारों तरफ पुलिस वाले और एसपीजी के लोग होते हैं मगर राहुल अपने पास आने से किसी को नहीं रोकते. उल्टे अगर वह देखते हैं कि किसी को रोका जा रहा है तो उसे बुला लेते हैं और उससे बहुत प्यार से मिलते हैं. यह पदयात्रा अपने घोषित उद्देश्य एकता और प्यार को फैलाती हुई चल रही है. कभी-कभी तो यह काफिला करीब एक किलोमीटर लंबा हो जाता है. अगर लोगों को तीन तीन की कतार में चलाया जाए तो यह कई किलोमीटर लंबा हो जाएगा मगर तब इसमें वह जज्बा नहीं रहेगा. तब यह फौजी कवायद ज्यादा लगेगी. साभार फेसबुल वाल से
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