केजरीवाल और बीजेपी में हिन्दुत्व का मुकाबला

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केजरीवाल और बीजेपी में हिन्दुत्व का मुकाबला

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! 2013 में आरएसएस ने जो अपने खास एजेण्ट अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे के जरिए कांग्रेस के खिलाफ हंगामा कराया था उस वक्त आरएसएस लीडरान ने सोचा भी नहीं होगा कि उसका यह छोटा स्वयं सेवक मुस्तकबिल में सबसे बड़े स्वयं सेवक नरेन्द्र मोदी के मुकाबले में खड़ा हो जाएगा. मोदी 2002 से ही हिन्दुत्व की सियासत कर रहे हैं लेकिन केजरीवाल ने जिस हिन्दुत्व का राग छेड़ा है उससे मोदी और उनका पूरा ग्रुप परेशानी में नजर आ रहा है. केजरीवाल ने हिन्दुत्व का नया राग छेड़ते हुए गुजरातियों की दुखती रग पर यह कहकर हाथ रखने का काम किया है कि देश के करेंसी नोटों पर एक तरफ गांधी तो दूसरी तरफ लक्ष्मी-गणेश की तस्वीरें छापी जानी चाहिए. तकरीबन एक हफ्ते तक बीजेपी लीडरान और तर्जुमान केजरीवाल के हिन्दुत्व को फर्जी बताते रहे लेकिन जब खुफिया एजंेसियों ने यह रिपोर्ट दी कि नोटों पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर छापने की केजरीवाल की तजवीज आम गुजराती वोटरों पर बहुत असर डाल रही है तो बीजेपी केजरीवाल के असर को रोकने के लिए यूनिफार्म सिविल कोड ले आई. गुजरात कैबिनेट ने फैसला कर लिया कि जल्दी ही हाई कोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की कयादत में एक कमेटी बनाई जाएगी जो यूनिफार्म सिविल कोड का मसविदा तैयार करेगी. याद रहे कि बीजेपी सरकार वाले उत्तराखण्ड में पिछले असम्बली एलक्शन से पहले इसी तरह की कार्रवाई की गई थी. उसका फायदा भी बीजेपी को मिला.

भारतीय जनता पार्टी के लोग केजरीवाल की शातिर चालों का मुकाबला असरदार तरीके से नहीं कर पा रहे हैं. गुजरात के शहरी इलाकों में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और देहातों में कांग्रेस का जो असर दिख रहा है अगर यह असर एलक्शन तक जारी रहा तो बीजेपी के लिए पच्चीस साल की सत्ता वाला गुजरात बचाना मुश्किल हो सकता है. अब तो खुद बकौल नरेन्द्र मोदी ‘एलक्शन से पहले मोरबी का पुल गिराकर भगवान ने गुजरातियों को यह संदेश दिया है कि अभी तो एक पुल गिरा है, अगर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी रही तो यह सरकार पूरा गुजरात तबाह कर देगी.’ यह बात नरेन्द्र मोदी ने पिछली बार मगरिबी बंगाल असम्बली एलक्शन के दौरान कोलकाता में एक पुल गिरने के वक्त अपनी एक एलक्शन रैली में खुद कही थी कि ‘भगवान ने कोलकाता का पुल गिराकर संदेश दिया है कि अभी तो बेईमानी से बनाया गया पुल ही गिरा है, अगर ममता की सरकार जारी रही तो पूरा बंगाल तबाह होगा.’ मोरबी में डेढ सौ से ज्यादा लोगों की मौतें हुई हैं जबकि कोलकाता में पुल गिरने से एक दर्जन से कम ही लोग हलाक हुए थे. तो क्या मोरबी के पुल के जरिए भगवान ने गुजरातियों को ज्यादा बड़ा और खतरनाक संदेश दिया है.

अरविंद केजरीवाल आईआरएस की मुलाजिमत छोड़कर आरएसएस के कांधों पर चढकर सियासत में आए हैं, यकीनन उन्हें संविधान का भी इल्म जरूर होगा, वह यह कि सरकार को मजहब के साथ जोड़ा नहीं जा सकता. उन्हें यह बात भी अच्छी तरह पता है कि भारत के नोटों पर गांधी के अलावा किसी भी मजहब के देवी देवताओं या अलामतों की तस्वीर नहीं छप सकती. इसके बावजूद उन्होने यह शगूफा छोड़ कर बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया है. अब बीजेपी लीडरान कह रहे हैं कि केजरीवाल नए हिन्दुत्ववादी बनने की कोशिश कर रहे हैं. वह अपनी इस कोशिश में कामयाब नहीं होंगे क्योकि उनका हिन्दुत्व फर्जी है. वह उन लोगों में शामिल हैं जो राम मंदिर की मुखालिफत करते रहे हैं. अब हिन्दुत्व जाहिर कर रहे हैं. जवाब में आम आदमी पार्टी के लोग यह कह रहे हैं कि बीजेपी तो साफ-साफ यह बताए कि वह नोटों पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति छापने की तजवीज के साथ है या उसके खिलाफ. गुजरात में केजरीवाल हिन्दुत्व के रथ पर ऐसे सवार हुए हैं कि खुद उन्होने और उनकी पार्टी के दूसरे लोगों ने एक बार भी बिलकीस बानो के रेप करने के मुजरिमीन को छोड़े जाने की बात नहीं की है, बीजेपी लीडरान की तरह केजरीवाल भी मुसलमानों से फासला बनाए रखकर चल रहे हैं.

करेंसी नोटों पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीरें छापने का शगूफा छोड़कर अरविंद केजरीवाल ने जैसे मधुमक्खी के छत्ते र्में इंटा मार दिया है. अब नोटों पर कई तरह के लोगों और इमारतों की तस्वीरें छापने के मतालबे हो रहे हैं. महाराष्ट्र असम्बली में बीजेपी के मेम्बर राम कदम ने मतालबा किया कि नोटों पर वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और विनायक दामोदर सावरकर की तस्वीरें छापी जाएं. एक मराठी तंजीम ने मतालबा किया कि नोटों पर शिवाजी महाराज की फोटो छापी जाए तो दलित तंजीमों ने मतालबा किया कि नोटों पर डाक्टर भीम राव अम्बेडकर की तस्वीर छापी जाए, क्योकि डाक्टर भीमराव अम्बेडकर ने ही ‘रिजर्व बैंक आफ इंडिया’ कायम किया था. उत्तर-भारत से मांग उठी कि नोटों पर राम-लक्ष्मण और सीता की तस्वीर छापी जाए. बिहार से लोगों ने कहा कि नोट पर गौतम बुद्ध की फोटो छापी जाए तो बंगाल से मांग उठी कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की फोटो छापी जाए. तमिलनाडु के लोगों ने अन्ना दुरई और रामास्वामी पेरियार की तस्वीरें छापने का मतालबा किया तो मुसलमानों के एक तबके का यह कहना है कि नोटों पर ख्वाजा मोईन उद्दीन चिश्ती अजमेरी और ख्वाजा निजाम उद्दीन औलिया के मजारों की या उनके गुंबदों की तस्वीर छापी जाए क्योकि इन दोनों ही सूफियों ने देश में एकता अम्न और भाईचारे की तालीम दी थी.

 फिलहाल तो गुजरात में नोटों पर लक्ष्मी-गणेश की फोटो छापने का मामला बड़ी बहस का मुद्दा बना हुआ है. असम्बली एलक्शन में यह मुद्दा बीजेपी की मुखालिफत और आम आदमी पार्टी की हिमायत में कितना काम करेगा इसका अंदाजा तो आठ दिसम्बर को ही हो पाएगा. केजरीवाल ने भी नरेन्द्र मोदी की तरह ‘विक्टिम गेम’ खेलना शुरू कर दिया है. जिस तरह हर एलक्शन में मोदी गुजरात में यह कहते रहे हैं कि वह गुजरात के गरीब घर के बच्चे हैं इसलिए बड़े लोग उन्हें गालियां देते हैं और बदनाम करने की कोशिश करते हैं. ठीक उसी तरह अब केजरीवाल ने गुजरात के हिन्दुओं से यह कहना शुरू कर दिया है कि वह हिन्दुओं के श्रवण कुमार हैं और उन्हें बीजेपी की जानिब से गालियां दी जा रही हैं. वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने तकरीबन एक साल पहले वजीर-ए-आला विजय रूपाणी और उनके तमाम  वजीरों को हटाकर बिल्कुल नए लोगों और अनजान चेहरों की सरकार बनवा दी थी इस फैसले का भी बड़ा असर एलक्शन में बीजेपी के सियासी मुस्तकबिल पर पड़ सकता है.

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