तीसरा मोर्चा में कौन कौन ?

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तीसरा मोर्चा में कौन कौन ?

आलोक कुमार 

पटना.पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और टीएमसी सुप्रीम ममता बनर्जी ने देश में तीसरा मोर्चा बनाने की बात कही हैअकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करने वालीं ममता बनर्जी का यह पहला यूटर्न भी है. बनर्जी ने कुछ दिन पहले एक रैली में कहा था कि कांग्रेस और बीजेपी एक ही है, इसलिए हम अलग राह पर चलेंगे.      बता दें कि हर चुनाव से पहले देश में तीसरा मोर्चा बनाने की हवा शुरू होती है, लेकिन यह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाता है. 2009 में कांग्रेस से नाराज होकर सीपीएम ने तीसरा मोर्चा बनाया था. यह मोर्चा 1996 के तर्ज पर बनाया गया था, लेकिन मोर्चा कामयाब नहीं हो पाया.

        इस बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तीसरा मोर्चा बनाने के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं.वे लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को पटखनी देने के लिए जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए उनके नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. उन्होंने, कांग्रेस के राहुल गांधी, आप के केजरीवाल, सपा के अखिलेश यादव, एनसीपी के शरद पवार समेत कई नेताओं से मुलाकात की.इसके क्रम में कहा कि जरूरत पड़ी तो हम (विपक्षी नेता) फिर मिलेंगे. सबका नजरिया सकारात्मक था. हम मुख्य मोर्चा(मेन फ्रंट) बनना चाहते हैं, तीसरा मोर्चा नहीं. विपक्ष को एकजुट करने का यह काम जारी रखूंगा.


बताया जाता है कि बिहार में बीजेपी के एक कद्दावर नेता  सुशील कुमार मोदी हैं, लेकिन बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बना कर बिहार की राजनीति से विदा ही कर दिया. सुशील मोदी को नीतीश कुमार का सबसे भरोसेमंद माना जाता था.लालू परिवार के खिलाफ उनका हल्ला बोल सर्वविदित है. लालू परिवार के खिलाफ उनके बयानों और ट्वीट का अगर आकलन किया जाये तो शायद इस मामले में उनकी जगह गिनीज बुक आफ रिकार्ड्स में जरूर दर्ज हो जाएगी.रोज-रोज लालू परिवार की आलोचना के साथ सुशील मोदी के निशाने पर तो अब नीतीश भी आ गये हैं. 

 इस संदर्भ में पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के बीच जो भी डील हुई हो, लेकिन तेजस्वी प्रसाद यादव को जमीनी हकीकत का एहसास हो गया है कि न वे अभी सीएम बन सकते हैं, न नीतीश कुमार कभी पीएम बन सकते हैं.

      मोदी ने कहा कि सीएम-पीएम के सपने देखने वाले चाचा-भतीजा अपने समर्थकों से नारे लगवा कर या पोस्टर-होर्डिंग्स के जरिये अपनी महत्वाकांक्षा प्रकट करते रहे हैं. अब दोनों सफाई देते फिर रहे हैं कि उन्हें बड़े पद पाने की इच्छा नहीं है.

        उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार 2023 में तेजस्वी यादव को कुर्सी सौंपने की बात से पलट चुके हैं और राजद भी अब कोई दबाव बनाने की स्थिति में नहीं है.

         मोदी ने कहा कि जो तेजस्वी यादव कह रहे थे कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने की जल्दी नहीं है, वही अब पद की इच्छा त्याग कर अचानक संत कैसे हो गए?

             उन्होंने कहा कि 2024 और 2025 में जब राजद-जदयू अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहे होंगे, तब सीएम-पीएम तो बहुत दूर की बात होगी. अच्छी बात है कि तेजस्वी यादव ने इस सच को स्वीकार किया.

         मोदी ने कहा कि ममता बनर्जी और अखिलेश यादव  कांग्रेस को अलग रख कर  फ्रंट बनाने का एलान कर चुके हैं. नीतीश कुमार को न ममता पूछ रही हैं, न केसीआर ने भाव दिया.

          उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य जहाँ नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा को चूर कर रहा है, वहीं बिहार के हालात में तेजस्वी यादव के सपनों पर ओला बरसा रहे हैं.


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