मैं तो लालू जी के साथ हूं!

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मैं तो लालू जी के साथ हूं!

हेमंत कुमार 

पार्टी छोड़ने पर बिमलाजी ने बाबा से कहा था , आपको जहां जाना है जाइए, मैं तो लालू जी के साथ हूं!  समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी की जीवन संगिनी बिमलाजी की अंतिम विदाई के मौके पर लालू प्रसाद और नीतीश कुमार को देख कर शिवानंद जी भावुक हो गये. लगा जैसे यादों का झरना बह निकला! बिमला जी को लालू और नीतीश भाभी कहा करते थे. बिमला जी का दोनों के घरों में आना-जाना था. नीतीश कुमार ने गंगा घाट पर जाकर बिमलाजी को अंतिम प्रणाम किया जबकि लालू जी ने घर जाकर अंतिम विदाई दी. लालू जी से उनका रिश्ता खास था. बाबा यानि शिवानंद तिवारी ने जब लालू यादव का साथ छोड़ा था , तब बिमलाजी ने उनसे साफ-साफ कहा था, आपको जहां जाना है जाइए, मैं तो लालूजी के साथ हूं!'

बीती रात 22 मई को जब बिमलाजी के निधन की खबर आयी तो लालू जी ने अपने शोक संदेश में कहा,' बिमलाजी के निधन से मेरे परिवार का एक सच्चा दोस्त हमलोगों से बिछड़ गया है।' उन्हीं बिमलाजी को अंतिम विदाई देने मंगलवार को सुबह - सवेरे लालू प्रसाद हार्डिंग रोड पर स्थित उनके विधायक पुत्र राहुल के आवास पर पहुंचे. उनके आगमन से पहले उनके आने की सूचना आ गयी थी. लग‌ रहा था , लाव-लश्कर के साथ आयेंगे. लेकिन पहुंचे अकेले -अकेले! एक छोटी-सी कार में ड्राइवर की बगल की सीट पर बैठे थे लालू . पीछे एक सुरक्षाकर्मी बैठा था. कार से उतरते ही बाबा ने पूछा, किसकी गाड़ी से आ गये ! लालू जी ने कहा,घर में कोई है कहां! किसी कार्यकर्ता की गाड़ी है. हमने कहा बाबा के यहां ले चलो! बस आ गये! बातचीत के बीच बाबा ने शेड के नीचे रखे बिमलाजी के पार्थिव शरीर की ओर इशारा किया. लालू जी उधर बढ़ गये. सुरक्षाकर्मी ने गाड़ी से निकाल कर लाल गुलाब से भरा झोला दिया. बिमलाजी के चरणों में पुष्प अर्पित करने के बाद‌ लालू पार्थिव शरीर निहारते रहे. थोड़ी देर बाद बाहर लगी कुर्सी पर‌ आकर बैठ गये।


लालू के अगल-बगल में शिवानंद तिवारी और साहित्यकार प्रेमकुमार मणि बैठे थे. बाबा ने कहा, बिमलाजी ने हमारे साथ बहुत संघर्ष किया. बहुत कष्ट सहा. लेकिन कभी कोई शिकायत नहीं की. जीवन में मैंने बहुत पापड़ बेले. बाबू जी ने जब घर से निकाल दिया तो सेक्रेटेरिएट के सामने फुटपाथ पर बैठ कर कपड़ा बेचा. ठेकेदारी की. क्या-क्या‌ न किया! बाबा की बातें सुन रहे लालू के उदास चेहरे पर छोटी-सी मुस्कान तैर गयी. कहने लगे , बिमला भाभी संघर्ष की साथी थीं. हमारा संबंध बहुत पुराना था! इतना कह कर  लालू मौन हो गये तो बाबा ने कहा, जब हमलोग राजनीति में नहीं आये थे तब का रिश्ता है हमारा. बिमला जी हमेशा लालू जी के समर्थन में खड़ी रहीं. जब मैंने लालू जी की पार्टी छोड़ी थी, तब भी वह लालू जी के समर्थन में रहीं! हमारे बीच सेतु का काम करती रहीं. बातचीत के बीच में ही लालू जी ने बाबा से विदाई ली।


इधर, मिलने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही थी.  बाबा के विधायक पुत्र राहुल के चुनाव क्षेत्र शाहपुर से लोग पहुंचे रहे थे. गांव -गिरांव से आ रहे थे. जमशेदपुर से आ रही बाबा की बहन का इंतजार हो रहा था. इसी बीच पत्रकार नवेंदु पत्नी संगीता जी के साथ पहुंचे. उनके साथ टाइम्स आफ इंडिया वाले प्रणव चौधरी भी थे. नवेंदु - संगीता की शादी का प्रसंग छिड़ा. इस अंतरजातीय शादी में कन्यादान बाबा ने किया था.  नवेंदु जी की मां से बाबा को बहुत गाली सुननी पड़ी थी. संगीता जी की बेटी-बेटा बाबा को‌ नाना बुलाते हैं. 


बाबा बताने लगे 13 मई को हमारी शादी की 58 वीं सालगिरह थी. दो दिन बाद 15 मई को बिमलाजी की तबीयत बिगड़ गयी. मैं घर में नहीं था. पोता विराज ने फोन किया . मेरे लौटने से पहले उन्हें अस्पताल ले जाया गया था. मैं भी पीछे-पीछे अस्पताल पहुंचा. उन्हें देखकर लग गया था कि अब नहीं लौटेंगी. मणि जी ने 1990 के चुनाव में बाबा का टिकट कटने की चर्चा की. बाबा ने बताया कि चंद्रशेखर के खिलाफ दिया गया , उनका बयान मेरा टिकट कटने का कारण बना. तब डीएन सहाय उनको लेकर चंद्रशेखर के पास गये थे. उनको चंद्रशेखर से कहना था, 'मुझे टिकट चाहिए।' बाकी बात सहाय जी संभाल‌ लेते. लेकिन बाबा से इतना भर भी कहा नहीं गया! चंद्रशेखर ने चलते-चलते पूछा, का शिवानंद कुछ कहे के बा! बाबा ने कहा, ना भइया ! कुछो ना! नतीजा हुआ बाबा को टिकट नहीं मिला. निर्दलीय मैदान में उतर गये. मात्र 256 वोट से हार गये. समर्थकों ने रि-काउंटिंग कराने की मांग की. लेकिन बाबा काउंटिंग सेंटर से निकल‌ गये. जब पता चला कि केवल 256 वोट से हारे हैं, तो कलेजा धक से रह गया. लगा जीता हुआ चुनाव हार गये!


इसी बीच भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू पहुंचे. जेडीयू एम एल सी संजय सिंह आये. पूर्व मंत्री मंजू कुशवाहा और उनके पति विजय कुमार पहुंचे. बिहार विधान परिषद के उपसभापति डा रामचंद्र पूर्वे पत्नी संग आये।पूर्व मंत्री अनिल कुमार और रामविलास पासवान के दामाद मृणाल अपने भाई मृत्युंजय के साथ आये. भाजपा विधायक नितिन नवीन और राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी पहुंचे. बाबा बताने लगे हमने जब शंकराचार्य के खिलाफ केस किया था , तब रामविलास भाई हमारे गवाह बने थे. पटना में एक कार्यक्रम में आये शंकराचार्य ने तब कहा था, 'हरिजन जन्मजात अछूत होते हैं।' समाचार एजेंसी पीटीआई ने यह खबर रिलीज की तो देशभर में हंगामा मच गया. केंद्र में  कांग्रेस की सरकार थी जिसने शंकराचार्य पर कार्रवाई की बात कही. लेकिन किया कुछ नहीं. मिथिला के ब्राह्मणों के दबदबे वाले अखबार आर्यावर्त और इंडियन नेशन ने हमारे खिलाफ मुहिम छेड़ दिया. हमलोगों ने अखबार के दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया. अखबार की प्रतियां जलाई. पहली बार लालू ने हमारे साथ सड़क पर उतर कर नारेबाजी की. 


बातचीत के बीच भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, स्टेट सेक्रेटरी कुणाल, केडी यादव और विधायक सुदामा प्रसाद भी आ गये. बातचीत चल रही थी. बाबा ने कहा, हमारे जीवन में थोड़ा स्थायित्व तब आया जब लालू जी ने मुझे नागरिक परिषद का सदस्य बना दिया. राज्यमंत्री का दर्जा और सरकारी गाड़ी मिली. पैसा भी मिलने लगा‌. लेकिन लालू जी से लड़ाई के बाद सब छिन गया. मणिजी ने जोड़ा, बाबा दिल्ली में थे. पटना में पुलिस उनका घर खाली करा रही थी. मणि जी की बात सुन कर बाबा हंसने लगे. इसी बीच बाबा की नजर डा गोपाल सिन्हा पड़ पड़ी. दोनों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया. 

सामने से किसी ने बाबा को इशारा किया, इधर आइए. कुछ रस्म है जो पूरा करना है. बाबा उठकर गये. लौटे तो उंगलियां सिंदूर में सनी थीं. कहने लगे बिमलाजी की मांग भरने गया था! रस्म है. उनका चेहरा निहार रहा था,लग रहा है निश्चिंत होकर सो गयी हैं. इसी बीच किसी ने बताया जमशेदपुर वाले आ गये हैं. तैयारी हो चुकी है. एक घंटे में दीघा घाट निकलना है! बाबा कपड़ा बदलने अंदर गये. थोड़ी देर के बाद बिमलाजी की अंतिम यात्रा शुरू हुई. दीघा में जेपी सेतु के ठीक नीचे बिंदटोली घाट पर बिमलाजी की चिता सजी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन की सूचना आ चुकी थी. दिल्ली से लौटकर सीधे घाट पर आने वाले थे. थोड़ी देर में मुख्यमंत्री का आगमन हुआ. बलुआही मिट्टी में गाड़ी फंसने का डर था. लिहाजा मुख्यमंत्री मुख्य सड़क से पैदल चिता तक आये. बिमलाजी को श्रद्धांजलि दी. बाबा का हाथ पकड़ कर बगल में बैठ गये. शुन्य में निहारते रहे. फिर राहुल को बुलाया. उससे बात की. सामने अब्दुल बारी सिद्दीकी, विजयकृष्ण, ज्ञानू सिंह बैठे थे. प्रियदर्शी जी, कंचन बाला जी, पत्रकार मित्र एनडीटीवी के मनीष, रजनीश उपाध्याय, मिथिलेश,अरुण अशेष, सुनील राज, भुवनेश्वर वात्स्यायन भी थे. प्रभात खबर के संपादक अजय कुमार, कवि कुमार मुकुल , श्रीकांत , पूर्व एम एल सी हरेंद्र जी और पूर्व विधायक गौतम सागर राणा भी बिमलाजी को अंतिम प्रणाम कहने आये थे. नीतीश जी के विदा होते ही . अंतिम क्रिया की रस्म शुरू हुई.  राहुल ने मां को मुखाग्नि दी. बिमलाजी का शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया. जैसे जैसे चिता की अग्नि शांत हो रही थी‌.  शुभचिंतकों और मित्रों की भीड़ छंटती जा रही थी!

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