चंचल
आज का जमाना होता तो यह खादिम एक बहुत बड़ी शख्सियत के अपहरण के कारण जेल में बंद होता . दूसरे दिन ,' नम्बर एक' पर लटके अखबार के पहले पन्ने पर खबर छपी मिलती कि -
महान लेखिका महादेवी का अपहरण . अपहरण कर्ता चंचल अपने गैंग के साथ गिरफ्तार .
और ' नम्बर एक के प्रतिनिधि ' के अनुसार पूरी खबर कुछ यूं छपती -
आज दिनांक फला , दिन फला , सन 78 को बनारस के एक प्रसिद्ध व्यापारी , सेठ बृजपाल दास के पांच सितारा होटल के मुख्यद्वार के सामने से हिंदी की महान लेखिका सुश्री महादेवी वर्मा का अपहरण हो गया है . महादेवी वर्मा आज ही साहित्य अकादमी दिल्ली के निमंत्रण पर इलाहाबाद से बनारस आयी थी . आज ही सुबह दस बजे उन्हें उसी पांच सितारा होटल में साहित्य अकादमी द्वारा मुंशी प्रेमचंद पर आयोजित एक कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण करना था . लेकिन प्रवेशद्वार से पहले ही महादेवी वर्मा का अपहरण हो गया . आयोजकों का आरोप है कि महादेवी का अपहरण करनेवाले काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के मनबढ़ छात्र नेता हैं . इनका सरगना है , विश्व विद्यालय छात्र संघ का अध्यक्ष चंचल . मौकये वारदात पर मौजूद चश्मदीद गवाहों का कहना है कि ज्यों ही महादेवी वर्मा अपनी कार से बाहर निकली अपहरण कर्ता जो पहले से ही घात लगाये बैठे थे , उन्हें अपनी कार में बिठा , तेज रफ्तार से शहर की तरफ निकल गए . इस घटना को लेकर बनारस में तनाव है . '
लेकिन ऐसा नही हुआ . जब की यह बात है , तब ये जमाना नही था . मुल्क में जम्हूरी निजाम था . छात्र संघों के अलिखित संविधान में उसे राजनीति की पाठशाला का दर्जा हासिल था . छात्रों को हर गलत को गलत कहने और उसका विरोध करने का हक मिला हुआ था . प्रधान मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक , कलेट्टर से लेकर कप्तान तक को, उनके हर गलत हरकत पर अंकुश लगाता रहा . यह रहा छात्र संघ . यह वाकया उस जमाने का है . तब यह' एक नम्बर' वाला अखबार बनारस नही आ पाया था . लोग बताते हैं तब यह एक नम्बरवाला चमड़ा मंडी में खुराफात बांट रहा था . उस समय बनारस से ' आज ' छपा करता था . वही आज कभी जिसका सम्पादन पराड़कर जी करते थे , पंडित कमलापति त्रिपाठी की पत्रकारिता निखरी है. इसी आज का सम्पादन कर रहे थे , भैया जी बनारसी . उस समय आज अखबार ने लिखा- यही समाचार -
चंचल के आग्रह पर महादेवी वर्मा विश्व विद्यालय पहुंची .
मुंशी प्रेमचंद पर ,साहित्य अकादमी के कार्यक्रम से महादेवी वर्मा अलग हुईं .
(निज संवाददाता द्वारा) . साहित्य अकादमी द्वारा घोषित मुंशी प्रेमचंद पर आयोजित गोष्ठी, बनारस के एक पांच सितारा होटल में आयोजित थी ,और जिसका उद्घाटन मशहूर लेखिका महादेवी वर्मा को करना था , लेकिन गोष्ठी स्थल को लेकर विवाद हो गया . विश्व विद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष चंचल अपने साथियों के साथ होटल पहुंच गए और महादेवी जी को विश्व विद्यालय ले आये . मुंशी प्रेमचंद पर आयोजित गोष्ठी का उद्घाटन सत्र छात्र संघ के निर्माणाधीन ' मधुवन' के लान में शुरू हुआ . अध्यक्षता किया हिंदी विभाग के प्राचार्य राम नारायण शुक्ला ने . साहित्य अकादमी के निमंत्रण पर आए देश भर के लेखकों का जमावड़ा होटल से निकल कर अपने वाहन से विश्वविद्यालय पहुंचा और मधुवन के लान में सब लोगों के साथ बैठ कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई . इनमे प्रमुख लोंगो में शिवमंगल सिंह सुमन , विष्णु खरे , विद्यानिवास मिश्र प्रमुख रहे .
छात्रों से खचाखच भरा मधुवन मुंशी प्रेमचंद के साथ अपना संस्मरण सुनाते समय , महादेवी जी कई बार भावुक हुयी .
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1984 . रविन्द्र भवन . साहित्य अकादमी का दफ्तर . साहित्य अकादमी से प्रकाशित पत्रिका के तत्कालीन संपादक गुलशेर खान शानी जी का कमरा .
हम तीन लोग अक्सर बैठा करते थे . शानी जी , विष्णु खरे और हम . साहित्य , कला , संगीत , रंगमंच आदि विषयों पर कुछ चुटकुले , कुछ चट पटी खबरे वगैरह होते और जम कर कह कहे लगते . एक दिन बनारस का जिक्र छिड़ गया तो हमने खरे जी पूछा - बनारस में जो घटित हो रहा था, उस पर दिल्ली का क्या रिएक्शन था ?
- खरे जी संजीदा हो गए , फिर जोर से हंसे - चलो बता ही देता हूँ - तुम लोग महादेवी को लेकर चल दिये . हम लोग असमंजस में . अब क्या हो ? हमने दिल्ली फोन मिलाया . अकादमी सचिव जामा के बाहर . होटल सेक्योरटी की शिकायत करो . कैसे अपहरण हो गया ? हम बता रहे हैं कि अपहरण नही हुआ , छात्रों ने महादेवी से बात की और वे हंसते हुए उनकी गाड़ी में बैठ गयी . सचिव मानने को तैयार नही , पुलिस में रिपोर्ट करिये , कोई तो कारण बताना होगा , इतना लंबा खर्च हुआ है .
फोन किया गया पुलिस को . दुर्भाग्य देखिये जो ऑफिसर आये वे अपने विद्यानिवास मिश्र के छोटे भाई निकले . दयानिधि मिश्र . उल्टे लगे हमी लोंगो को समझाने , अजीब अजीब सवाल . और वाकई उन सवालों का हम लोंगो के पास जवाब नही था . मसलन
- मुंशी प्रेमचन्द फाइव स्टार होटल में बैठेंगे ? किसने यह मूर्खता पूर्ण निर्णय लिया . आप विश्व विद्यालय के छात्रों से वाकिफ नही है . हमसे पूछिये चौबीसों घण्टे झेलना पड़ता है . बर्रे के छत्ते में हाथ मत घुसेडिये . जो हो गया होने दीजिए . महादेवी जी मधुवन जा रही है , वहीं बोलेंगी . अभी राय कृष्ण दास के घर पर हैं . आप लीग भी होटल का वाहन लेकर निकल लीजिये . वहां आप लोंगो को कोई कुछ नही बोलेगा . जाइये . बगैर दिल्ली को बताए हम लोग वहां पहुंच गए बस .
महादेवी जी का सुनाया हुआ संस्मरण फेसबुक पर दे चुका हूं .
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